Ganga : The pride of India

                                      ''Ganga : The pride of India''



भारत  की  संस्कृति  ऐसी हैं की यहाँ हर चीज में अपनापन होता हैं।  
आस्था  में  बहुत  शक्ति होती हैं। लोगो की पेड़ पौधों ,जीव जंतु ,पर्वत ,पहाड़ ,  नदियों ,तालबो सभी  में असीम आस्था हैं। 
उसी में आज हम गंगा नदी की  बात करेंगे। 
  





                                                           '' गंगा का जन्म ''


माना जाता हैं कि गंगा को धरती पर भगीरथ अपने पूर्वजो की मुक्ति के लिए ,कठोर तपस्या कर के धरती पर लाये थे। 
गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ था,और  गंगा भगवान शिव की जटाओं में निवास करती हैं। 
गंगा का इतना वैघ था ,की अगर ये सीधे धरती पर आती तो ,पाताल में समा जाती ,इसलिए भगवान शिव ने इसे अपनी जटाओं में बांध लिया। 




                                          ''   धरती पर गंगा का जन्म   ''

गंगा नदी की प्रधान उद्गम भागीरथी हैं ,  जो गढ़वाल में हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती हैं ,यह स्थान उत्तराखंड राज्य में उत्तरकाशी जिले में हैं। 






              '' भारत में गंगा नदी की इतनी महिमा क्यों हैं और क्या हैं इसका महत्व। ''


भारत में हमेशा नदियों को माँ माना जाता हैं। सभी नदियों में सबसे ज्यादा महत्व गंगा नदी का हैं। कहते हैं कि गंगा में स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं। सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता हैं। 







गंगा नदी अपने मीठे व निर्मल जल के कारण विश्वप्रसिद्ध हैं। इसके जल में विशेष गुण हैं। इसका जल अपनी शुद्धता और पवित्रता को लम्बे समय तक सुरक्षित बनाये रखता हैं। कितने ही समय तक आप इसे सुरक्षित रख सकते हैं। 







गंगा स्नान ,पूजन ,और दर्शन से पापों का नाश होता हैं। कई परेशानियो से मुक्ति मिलती हैं। 
जो तीर्थ स्थान गंगा किनारे बसे हैं ,वे अन्य की तुलना में ज्यादा पवित्र हैं। 







''  वैज्ञानिक महत्व  ''    गंगा का जल लोग अपने साथ घर ले जाते हैं। ये जल वर्षो तक घरो में सुरक्षित रहता हैं, इसमें कभी कुछ गंदगी नहीं होती । 
गंगा जल का प्रयोग हम सभी घरों के धार्मिक अनुष्ठनों में करते हैं। गंगा जल के नियमित प्रयोग से कई रोग दूर होते हैं । चर्म रोग में भी इसके जल  का प्रयोग करते हैं। 

 



इसके गुणों के पीछे का कारण अभी बहुत हद तक पता नहीं चला ,पर ये एक चमत्कार हैं। विज्ञान भी इसके   जल को अद्भूत गुणों या यूँ कहे देवताओं द्वारा आशीर्वाद प्रदान मानते हैं। 




                                ''  गंगा का आर्थिक महत्व   ''

गंगा अपनी घाटियों में भारत कृषि आधारित अर्थ में भारी सहयोग तो करती ही हैं। यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई का बारहमासी साधन हैं। 
इन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रधान उपज में मुख्य धान ,दाल ,गन्ना ,तिलहन ,आलू ,व गेहू हैं जो भारत की कृषि का महत्वपूर्ण साधन हैं। 







गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल तथा झीलों के कारण यहाँ =    मिर्च ,सरसों ,तिल ,गन्ना ,जूट की बहुतयात फसल होती हैं। गंगा नदी में मत्स्य उद्द्योग भी बहुत चलता हैं। गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी नदी हैं। इसमें कई प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं ,इससे भी मछली पालन का अच्छ व्यापर होता हैं। 
और भी कई खनिज पाए जाते हैं। 







                        '' उत्तराखंड में गंगा की प्रमुख समस्या ''


 देव भूमि में राष्ट्रीय नदी गंगा की प्रमुख समस्या उसका प्रदूषित होना हे ,लोगों द्वारा इसमें जो गंदगी छोड़ी जाती हैं उसका प्रभाव ये हो रहा हैं कि गंगा नदी प्रदूषित होने लगी हैं ,इसका जल पिने लायक नहीं रहा। 
लोग अपने स्वार्थ के लिए इसमें फैक्ट्रियों का गन्दा पानी ,कैमिकल युक्त पानी ,कचरा ,फालतू सामान ,मल -मूत्र त्याग ,कपड़े धोना ,अस्थियों का विसर्जन और भी कई प्रकारो से इसे प्रदूषित कर रहे  हैं।



 



उत्तराखण्ड में अब गंगा जल्द ही पूरी तरह साफ और स्वच्छ  नजर आएगी।   ऋषिकेश से हरिद्वार तक की दिक्क़त भी  दूर होने वाली हैं। 
नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा से लगे  15 शहरों में गंदे नालों की ट्रेपिंग के साथ सीवरेज के निस्तारण को एसटीपी का निर्माण हो रहा हैं।इस परियोजना  से गंगा जल्द ही साफ और निर्मल हो जाएगी। 






                                          '' सकारात्मक परिणाम ''

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करे तो गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के पानी की गुणवत्ता  श्रेष्ठ श्रेणी की हैं। 
ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक ही दिक्क्त है। 
हरिद्वार में गंगा के पानी में कुछ स्थानों पर मल-मूत्र भी पाया जाता था। हांलाकि अब दोनों शहरो में गंगा में गिरने वाले गंदे नालो की टेपिंग और एसटीपी के त्यार होने से सुधार हुआ हैं। 


                                             गंगा पर बसे शहर

गंगा नदी  हरिद्वार , कानपूर , वाराणसी ,पटना , प्रयागराज , भागलपुर तथा बिसाल के मैदानी    इलाकों से होती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। 

 




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